सरकारी कर्मचारियों की सभी जानकारियाँ ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। यह जानकारी मानव संपदा पोर्टल पर रहेगी और इस पोर्टल के माध्यम से हर कर्मचारी की नियुक्ति, कार्यभार, स्थानांतरण, प्रशिक्षण, वेतन, छुट्टियाँ, विदेश यात्रा, विभागीय जांच, और रिटायरमेंट से जुड़ी सभी प्रक्रियाएँ और विवरण पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे अब राज्य के लगभग आठ लाख दर्ज होंगे। इसका उद्देश्य शासन की कार्यप्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे और आम जनता को अधिकारियों से संबंधित जानकारी तक तुरंत और सही समय पर पहुँच मिल सके। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और प्रमुख सचिव मानव संसाधन विभाग मनीष कुमार सिंह ने इस प्रणाली को राज्यभर में लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का विवरण पूरी तरह से सिस्टम में दर्ज रहेगा, बल्कि कोई भी गतिविधि छुपाई नहीं जा सकेगी। मानव संपदा पोर्टल को उच्च स्तरीय निगरानी के लिए तैयार किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की देरी, अनियमितता या भ्रष्टाचार की गुंजाइश न बचे। इससे सभी विभागों में पारदर्शिता आएगी और विभागीय कामों की गति भी तेज होगी। अब कर्मचारियों को अपने सेवा संबंधी कार्यों के लिए इधर-उधर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जैसे ही कोई कार्य होता है—चाहे वह नियुक्ति हो, स्थानांतरण हो या वेतन में कोई बदलाव—वह सीधे पोर्टल पर अपडेट हो जाएगा। इससे जहां कर्मचारियों को सुविधा मिलेगी, वहीं विभागों को अपने रिकॉर्ड दुरुस्त और अपडेटेड रखने में आसानी होगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पोर्टल का उपयोग अधिकारियों की कार्यशैली की निगरानी के लिए भी किया जाएगा। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी अपने कार्य में लापरवाही या अनियमितता बरतता है, तो उसकी जानकारी भी इस पोर्टल पर दर्ज होगी और वरिष्ठ अधिकारियों तक स्वतः पहुंच जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदारी से कार्य करे। यह निर्णय सरकार की डिजिटल गवर्नेंस और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक अहम कदम है। अब कोई भी कर्मचारी छुट्टी पर है या नहीं, बाहर गया है या विभागीय जांच में है—सारी जानकारी तुरंत मिल सकेगी। इससे विभागीय कार्यों की गति बढ़ेगी और जवाबदेही तय होगी। मानव संपदा पोर्टल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित हो, जिसमें डाटा की गोपनीयता और कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारियाँ संरक्षित रहें। पोर्टल में लॉगिन करने के बाद ही किसी कर्मचारी की जानकारी देखी जा सकेगी और इसके लिए भी अधिकृत पदाधिकारियों को ही अनुमति दी जाएगी। मुख्य सचिव ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द अपने विभाग के कर्मचारियों की जानकारियाँ पोर्टल पर अपडेट करें और नियमित रूप से इसकी समीक्षा करें। इसके साथ ही सभी जिलों के डीएम और विभाग प्रमुखों को मानव संपदा पोर्टल की जानकारी देने और प्रशिक्षण दिलाने का भी निर्देश जारी किया गया है। इस पूरी व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा दिया जाए। कर्मचारियों को बिना किसी बाधा के अपनी सेवा से संबंधित जानकारियाँ मिले और आम जनता को भी यह पता चल सके कि कौन सा अधिकारी किस जगह पर है, किस कार्य के लिए उत्तरदायी है और किन कार्यों में उसकी भूमिका रही है। यूपी सरकार का यह कदम डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक मिसाल बन सकता है और अन्य राज्यों को भी इससे सीख मिल सकती है। इस व्यवस्था से शासन, प्रशासन और आम जनता के बीच विश्वास बढ़ेगा और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आएगी। सरकार ने यह भी कहा है कि इस नई प्रणाली के लागू होने से सरकारी विभागों में “फाइल दबाने” या “जानकारी छुपाने” की पुरानी आदतों पर पूरी तरह से रोक लगेगी। जो भी कार्य होंगे, वे समयबद्ध ढंग से होंगे और रिकॉर्ड में दर्ज भी होंगे। इस सिस्टम में यदि कोई अधिकारी जानबूझकर प्रक्रिया में देरी करता है या कार्य नहीं करता, तो उसकी जवाबदेही भी तय होगी। अब न केवल मुख्यालय स्तर पर बल्कि ब्लॉक, जिला और मंडल स्तर तक की सभी जानकारियाँ डिजिटल माध्यम से उपलब्ध होंगी। हर कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी, प्रोफाइल, तैनाती का स्थान, सेवा विवरण, पदोन्नति, वेतन वृद्धि, स्थानांतरण, पेंशन प्रक्रिया, प्रशिक्षण, और सभी विभागीय कार्रवाइयों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा। मानव संपदा पोर्टल को विभागों की आंतरिक प्रक्रिया से जोड़ते हुए इस तरह विकसित किया गया है कि यह कर्मचारियों के प्रदर्शन मूल्यांकन में भी सहायक बनेगा। इससे भविष्य में पदोन्नति और सेवा विस्तार जैसे निर्णय भी आंकड़ों के आधार पर लिए जा सकेंगे। यह व्यवस्था केवल अफसरों या बड़े कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर शिक्षक, लिपिक, लेखाकार, तकनीकी सहायक, सफाई कर्मचारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, आशुलिपिक, सचिव, लेखा परीक्षक, नायब तहसीलदार आदि सभी के लिए अनिवार्य है। इस पोर्टल से न केवल शासन के स्तर पर निगरानी संभव होगी, बल्कि स्वयं कर्मचारी भी अपनी प्रोफाइल देखकर यह जान सकेंगे कि उनका कौन सा काम लंबित है, कौन सा कार्य कब हुआ, और भविष्य में कौन-से कार्य निर्धारित हैं। इससे कर्मचारियों की कार्य दक्षता में भी सुधार होगा और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होगी। यूपी सरकार का यह प्रयास न केवल कार्य प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाएगा, बल्कि जनता को भी यह विश्वास दिलाएगा कि अब सरकारी तंत्र में सुधार आ रहा है। कर्मचारियों को अपनी सेवाओं के दौरान किसी भी स्तर पर होने वाली परेशानी से निजात मिलेगी और सभी प्रक्रियाएँ एक तय समय सीमा के भीतर पूरी होंगी। मानव संपदा पोर्टल भविष्य की डिजिटल भारत की उस नींव का हिस्सा है, जहां सरकारी कामकाज कागज़ों से हटकर ऑनलाइन सिस्टम पर आधारित होगा। यह नई प्रणाली न केवल शासन को आधुनिक बनाएगी, बल्कि जनता को भी सेवा वितरण में त्वरित सुविधा देगी। इस तरह उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करेगा और सरकारी कर्मचारियों की जवाबदेही, पारदर्शिता तथा कार्यप्रणाली में सुधार लाने का सशक्त माध्यम बनेगा।