दक्षिण-पूर्व एशिया के हांगकांग और सिंगापुर जैसे देशों में कोविड-19 के मामलों में अचानक आई तेजी के बाद अब भारत में भी कोरोना वायरस की वापसी होने लगी है। हाल ही में मुंबई में एक ही दिन में 53 नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। यह 2020 के बाद की स्थिति की याद दिला रहा है, जब पूरे देश में लॉकडाउन और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता पड़ी थी। विशेषज्ञों के अनुसार SARS-CoV-2 वायरस का नया स्वरूप ही इसके पीछे की वजह हो सकता है, जो तेजी से फैल रहा है, हालांकि अभी तक इसकी गंभीरता कम मानी जा रही है। भारत सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल समीक्षा बैठक बुलाई और फिलहाल हालात को नियंत्रण में बताया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत की विशाल जनसंख्या के अनुपात में मरीजों की संख्या अभी बहुत कम है और घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन सतर्कता और सावधानी ज़रूरी है, क्योंकि यह वायरस पहले से कई गुना तेज़ी से फैल सकता है। कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं है। देश के अन्य राज्यों जैसे दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक में भी कोरोना के नए मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। 12 मई से अब तक भारत में 164 नए मामले सामने आए हैं, जिसमें 257 सक्रिय केस की पुष्टि हुई है। इससे साफ है कि कोरोना धीरे-धीरे फिर फैलने लगा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अभी तक किसी गंभीर लक्षण या बड़े स्तर पर अस्पताल में भर्ती जैसी स्थिति नहीं बनी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिन लोगों में हल्के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार या कमजोरी दिख रही है, उन्हें होम आइसोलेशन और प्राथमिक इलाज से ठीक किया जा रहा है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), और स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार स्थिति पर निगरानी रखे हुए हैं। देश की सभी स्वास्थ्य एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है और ज़रूरत पड़ने पर टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और इलाज की व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं। इस बीच लोगों से अपील की जा रही है कि वे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, मास्क पहनें, नियमित रूप से हाथ धोएं और यदि किसी प्रकार के लक्षण महसूस हों तो तुरंत जांच कराएं। विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि फिलहाल घबराने की नहीं बल्कि समझदारी से व्यवहार करने की जरूरत है। भारत सरकार ने यह भी कहा है कि पहले की तरह लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने की जरूरत नहीं है, लेकिन लोगों की भागीदारी और सतर्कता से ही इस स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित रखा जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जा रही है, खासकर जहां आबादी घनी है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस कोई नया वैरिएंट है या पुराना वायरस ही दोबारा सक्रिय हुआ है। वैज्ञानिक इसपर अध्ययन कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञ मिलकर इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर वायरस की वापसी क्यों हो रही है। कोविड-19 के पिछले अनुभव से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली अब काफी बेहतर तरीके से तैयार है। अधिकतर लोग वैक्सीन की दोनों खुराकें ले चुके हैं, जिससे गंभीर मामलों की संभावना बहुत कम हो गई है। हालांकि बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, और पहले से बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। कोरोना की इस संभावित नई लहर के मद्देनज़र स्कूलों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थानों पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। कई अस्पतालों को फिर से कोविड तैयार किया जा रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत इलाज शुरू किया जा सके। भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी राज्यों को ज़रूरी दवाइयां, ऑक्सीजन, और मेडिकल उपकरण समय पर उपलब्ध हों। स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से यह भी अनुरोध किया है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए। इस पूरी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण है लोगों की जागरूकता और सहयोग। यदि हर नागरिक सावधानी बरते, तो भारत इस बार भी कोरोना को पूरी तरह नियंत्रित करने में सफल हो सकता है। अतः यह कहा जा सकता है कि हांगकांग और सिंगापुर के बाद अब भारत में भी कोरोना फिर लौट आया है, लेकिन इस बार देश अधिक सजग और तैयार है। कोरोना की इस नई दस्तक को हल्के में न लेते हुए हमें जिम्मेदारी से काम लेना होगा ताकि दोबारा कोई बड़ी लहर न आए और सामान्य जीवन सुरक्षित बना रहे।